Wednesday, October 22, 2008

मुस्कुराते हो तो अच्छे लगते हो

जब से गर्मी के बाद पहली बदरी छाई है
सूखे होठों ने फिर से प्यास नयी पाई है
चांदनी झलकी यूँ चेहरे से कि महसूस हुआ
शायद सालों के बाद आज हंसी आई है

खोये थे या सोये थे इन वीरान गलियों में
कौन हैं जिसने ये सरगम यहाँ सुनाई है

हो चले थे जड़ जो रास्तो को तक तक कर
आगे बढ़ने को किसने राह ये सजाई है

कौन लाया है ये संजीवनी चुन कर कहदो
फिर से जीने की चाह किसने अब जगाई है

रात थी स्याही थी और टिमटिमाते तारे थे
मानो बरसो के बाद दिन की झलक पायी है
खिल उठे हैं हजारों सूर्यमुखी सुबह को
सच है सालों के बाद हमको हंसी आई है

Thursday, September 18, 2008

बुझती लौ

लिखाई टूट रही स्याही खत्म होने को है
बुझने वाले हैं दीप रौशनी अब खोने को है

वैसे कहने को तो ये सफर पुराना है
फ़िर भी लगता है जैसे हर कदम बेगाना है
डगमगाती हुई कश्ती, लहरती लौ की तरह
बरसती हर एक बूँद हमको डुबोने को है

डाली से टूटे क्या हम यूँ लिया हवाओं ने
तप के बरसी यूँ धूप ज्यों जले चिताओं में
कैसा खाना कहाँ पानी कि अब तो सूख चले
बची जो राख वो भी अब हवा में उड़ने को है

दिल को पानी से लिखा तो कहाँ रह पायेगा
की बन के भाप पल में आँखों से छुप जाएगा
कहाँ मिलेंगे रंग जिनसे तुमको दिल ये कहूँ
लिखाई टूट रही स्याही खत्म होने को है

Wednesday, September 17, 2008

बरसते हम भी थे , रह रह ख्याल आता है
मेरे बरसने से ही दुनिया में रंग आता है
मगर कुछ बदल गई दुनिया की रंगत ऐसी
अब मेरा छूना भी उन्हें चोट सा लग जाता है

Monday, August 4, 2008

Its My Wish

ख्वाहिशें हैं कुछ ऐसी भी ,अभी तक जिंदा जो दिल में,
चाहकर भी मिटा सकना,नहीं है दिल कि सरहद में,
और फिर सोचता हूँ क्यों मिटाऊँ वो सारी अनकही हसरत,
है गर अब तक के बाकी जान मेरी इस हवेली में
के जीना है नहीं बस गिनती की साँसे बिता लेना,
के जिंदा वो जो सारी ख्वाहिशों को जी के दिखलाये

मगर सच भी है ख्वाहिश नाम है उस गहरे दरिया का
चांदनी शब के आँचल में सजा जहाँ दूधिया साहिल,
जिसे छूने की हसरत में खिंचे जाते हैं दीवाने,
और फिर लौट न पाए थे जो तैराक दुनिया के,
नहीं ग़म है कोई फिर भी के मैं ऊंची मौज का मांझी,
साधना जानता हूँ नाव देखे रुख हवाओं का,
और फिर हैं कई मुझ से जिन्होंने अदना ख्वाहिश पर,
हैं ढूंढे अनगिनत मोती, इक नयी धरती भी ढूंढी है

Monday, July 28, 2008

The Sinking Boat

मेरे सपनो की दुनिया से मुझे अब दूर जाना है

अंधेरे काटने को राह के ख़ुद को जलाना है

अगर जिंदा रहूँ फ़िर भी तो बेजां देह है मेरी

के पल पल घोट कर अरमां महज बस जीते जाना है

वो कहते जिंदगी दी रब ने जो है एक हसीं नगमा

जियें कैसे जो बनकर लाश जब जीवन बिताना है

सज़ा मिलती गुनाहों की गुनाह जब साबित हो जायें

कहो कैसे सज़ा के बाद फ़िर पेशी को जाना है

सज़ा मंजूर सर आँखों पे सर हम ने झुकाया है

मगर इतना भी जानो हमने वालिद तुम को माना है

राहें थीं ग़लत जिस पर चला ये है कुबूल हमको

मगर मौका तो दो के हमको वापस लौट जाना है

नही दिखती कोई लौ जिसका रुख कर मोड़ दें कश्ती

क्यों यूँ तिल तिल डुबाते हो जो एक दिन डूब जाना है

Tuesday, July 22, 2008

good old days

बीता हुआ वक़्त फिर याद दिलाया न करो
सो रहे हैं अगर तो नींद से उठाया न करो
कहीं खो बैठे हैं भीड़ में जो पहचान अपनी
तुम उसे ढूँढ के फिर सामने लाया न करो
छेड़ देते हो क्यों टूटे हुए इन तारों को
खनकते नहीं अब ये इनको दुखाया न करो
साँस चलती थी धड़कन सुनाई देती थी
जल चुकी लाश इसे फ़िर से जिलाया न करो
देखते हैं तुम्हे और फिर से तलब उठती है
फिर यूँ जीने की तड़प दिल में जगाया न करो
अब न सींचो रगें सूखे हुए इन पौधों की
या तो फिर तपते मरू में छोड़ के जाया न करो
भरी रहती हैं ये पलके हमेशा नीरों से
मर्म छूकर इन्हें तुम पुनः छलकाया न करो

Friday, June 20, 2008

Its your Life, live it today

life is to move on ,
on and on,
what if i expect something,
what if dont get the expected,
what if i dont keep up to the pace,
what if i am tired,
what if i stop,
where should i stop,
what if the life leaves me behind,
what if my people move away,
shall i put an end to this - what if,
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is it my day today?
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lets make it my day,
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let future be future.